Monday, December 31, 2007

कविता - हैप्पी न्यू एअर

बिल्ली मौसी ने एक कार्ड,चूहे को भिजवाया,
'हैप्पी न्यू ईयर' का नाराउसमें था

अब तक जो हुआ था सब,भई उसको तो माफ करो,
पिछली सारी गलती को,रफा-दफा और साफ करो,


नए साल की पार्टी है, तुम,मेरे घर पर आ जाना,
साथ तुम्हारे चूहिया रानी,भाई-भतीजों को भी लाना,


चूहे ने फिर यूँ लिख भेजा,खूब समझे हम तेरी चाल,
हमको खाना छोड़ दोगी,अभी नहीं आया वो साल!!

रोचक जानकारी- संगीत का वैज्ञानिक प्रभाव

संगीत का वैज्ञानिक प्रभाव
संगीत सुनने के कई फायदे हैं। यह बात तो सभी को मालूम है पर कोई आपसे पूछ बैठे कि जरा बताइए कि क्या इन फायदों के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है तो आप सोच में पड़ जाएँगे। दरअसल हर तरह के संगीत को सुनने से आप पर अच्छा प्रभाव पड़े यह भी कतई जरूरी नहीं है। तो आइए रॉक म्यूजिक और शास्त्रीय संगीत सुनने से क्या प्रभाव पड़ता है इसे शोध की नजर से देखते हैं। इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर ने यह बात शोध से साबित की है। संस्था ने इस शोध में करीब 1500 बच्चों पर अलग-अलग तरह के संगीत का प्रभाव परखा।

शास्त्रीय संगीत के प्रभाव के रूप में यह सामने आया कि इसे सुनने वाले बच्चों के शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या अधिक पाई गई। जिन बच्चों में शास्त्रीय संगीत का असर जाँचने के लिए शोध किया गया उनका यह भी कहना था कि इस तरह का संगीत सुनकर वे तनावरहित महसूस करते हैं।

इसके उलट जब तेज आवाज में बजता रॉक म्यूजिक शोध का विषय बनाया गया तो पाया गया कि यह अरुचि ही पैदा करता है। इस तरह का संगीत सुनने वाले युवाओं के लिए एक मॉक टेस्ट रखा गया। इसमें पहले तो युवाओं में तेज रॉक म्यूजिक सुना और फिर ड्राइविंग की। इसपर उन्होंने स्पीड ब्रेकर का ध्यान नहीं रखा और गाड़ी की गति पर भी उनका नियंत्रण नहीं रहा। इस तरह का संगीत सुनने के बाद युवा एक तरह की उत्तेजना में देखे गए।

संगीत के बारे में बात करते हुए एक कहना यह भी है कि संगीत सुनने से गणित भी अच्छा होता है। याद कीजिए शुरुआती कक्षाओं में
महान संगीतकार मोजार्ट अंकों में छुपे संगीत को पहचानने में सफल रहे थे। शायद उनके संगीत की मधुरता का यह भी एक राज है
आपको भी गिनती और पहाड़े लगभग करवाए जाते थे। संगीत में जो उतार-चढ़ाव होता है वह एक तरह से गणित के जोड़-घटाव की ही तो याद दिलाता है।

महान संगीतकार मोजार्ट अंकों में छुपे संगीत को पहचानने में सफल रहे थे। शायद उनके संगीत की मधुरता का यह भी एक राज है। जब वे छोटे थे और गणित सीख रहे थे तो उन्होंने अपने घर के हर कमरे की दीवार को अंकों से पाट दिया था। जब मोजार्ट 14 साल के थे तो वे संगीत में रम गए पर तब भी वक्त निकालकर वे अपनी बहन से कुछ गणित के सवाल लेकर उन्हें हल करते थे। इस संगीतकार की एक कम्पोजिशन तो उनके लॉटरी के टिकट के नंबरों से हूबहू मिलती थी। अपने संगीत की कम्पोजिशन में गणित ने मोजार्ट की खूब मदद की और मोजार्ट का संगीत आज दुनिया का मधुरतम संगीत है जो हमें निराशा और अवसाद की स्थिति से निकलाकर तरोताजा कर देता है। तो जान लीजिए कि हम जिस तरह की चीजें सुनते हैं और देखते हैं उनका हम पर वैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। अब यह हमें तय करना है कि हम किस तरह का प्रभाव खुद पर चाहते हैं।

Sunday, December 30, 2007

रोचक जानकारी

कैसे हुआ महीनों का नामकरण..... महीने के नामों को तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि महीनों के यह नाम कैसे पड़े एवं किसने इनका नामकरण किया। नहीं न! तो जाने......
जनवरी : रोमन देवता 'जेनस' के नाम पर वर्ष के पहले महीने जनवरी का नामकरण हुआ। मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं। एक से वह आगे तथा दूसरे से पीछे देखता है। इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं। एक से वह बीते हुए वर्ष को देखता है तथा दूसरे से अगले वर्ष को। जेनस को लैटिन में जैनअरिस कहा गया। जेनस जो बाद में जेनुअरी बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया।
फरवरी : इस महीने का संबंध लेटिन के फैबरा से है। इसका अर्थ है 'शुद्धि की दावत।' पहले इसी माह में 15 तारीख को लोग शुद्धि की दावत दिया करते थे। कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक देवी फेबरुएरिया से भी मानते हैं। जो संतानोत्पत्ति की देवी मानी गई है इसलिए महिलाएँ इस महीने इस देवी की पूजा करती थीं ताकि वे प्रसन्न होकर उन्हें संतान होने का आशीर्वाद दे।
मार्च : रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ। रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था। मार्स मार्टिअस का अपभ्रंश है जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। सर्दियाँ समाप्त होने पर लोग शत्रु देश पर आक्रमण करते थे इसलिए इस महीने को मार्च नाम से पुकारा गया।
अप्रैल : इस महीने की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'एस्पेरायर' से हुई। इसका अर्थ है खुलना। रोम में इसी माह कलियाँ खिलकर फूल बनती थीं अर्थात बसंत का आगमन होता था इसलिए प्रारंभ में इस माह का नाम एप्रिलिस रखा गया। इसके पश्चात वर्ष के केवल दस माह होने के कारण यह बसंत से काफी दूर होता चला गया। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के सही भ्रमण की जानकारी से दुनिया को अवगत कराया तब वर्ष में दो महीने और जोड़कर एप्रिलिस का नाम पुनः सार्थक किया गया।
मई : रोमन देवता मरकरी की माता 'मइया' के नाम पर मई नामकरण हुआ। मई का तात्पर्य 'बड़े-बुजुर्ग रईस' हैं। मई नाम की उत्पत्ति लैटिन के मेजोरेस से भी मानी जाती है।
जून : इस महीने लोग शादी करके घर बसाते थे। इसलिए परिवार के लिए उपयोग होने वाले लैटिन शब्द जेन्स के आधार पर जून का नामकरण हुआ। एक अन्य मतानुसार जिस प्रकार हमारे यहाँ इंद्र को देवताओं का स्वामी माना गया है उसी प्रकार रोम में भी सबसे बड़े देवता जीयस हैं एवं उनकी पत्नी का नाम है जूनो। इसी देवी के नाम पर जून का नामकरण हुआ।
जुलाई : राजा जूलियस सीजर का जन्म एवं मृत्यु दोनों जुलाई में हुई। इसलिए इस महीने का नाम जुलाई कर दिया गया।
अगस्त : जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर ने अपने नाम को अमर बनाने के लिए सेक्सटिलिस का नाम बदलकर अगस्टस कर दिया जो बाद में केवल अगस्त रह गया।
सितंबर : रोम में सितंबर सैप्टेंबर कहा जाता था। सेप्टैंबर में सेप्टै लेटिन शब्द है जिसका अर्थ है सात एवं बर का अर्थ है वाँ यानी सेप्टैंबर का अर्थ सातवाँ किन्तु बाद में यह नौवाँ महीना बन गया।
अक्टूबर : इसे लैटिन 'आक्ट' (आठ) के आधार पर अक्टूबर या आठवाँ कहते थे किंतु दसवाँ महीना होने पर भी इसका नाम अक्टूबर ही चलता रहा।
नवंबर : नवंबर को लैटिन में पहले 'नोवेम्बर' यानी नौवाँ कहा गया। ग्यारहवाँ महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला एवं इसे नोवेम्बर से नवंबर कहा जाने लगा।
दिसंबर : इसी प्रकार लैटिन डेसेम के आधार पर दिसंबर महीने को डेसेंबर कहा गया। वर्ष का 12वाँ महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला।